‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Wednesday 28 February 2018
कथा-अभीष्टा - १३ - सकारात्मक सोच (Hindi)
।। हरि: ॐ।।
28-02-2018
कथा-अभीष्टा - १३
सकारात्मक सोच
For Matruvatsalya Upanishad
Refer- http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/new-year-gift-to-shraddhavan-matruvatsalya-upanishad/
Friday 23 February 2018
न्हाऊ तुझिया प्रेमे अनिरुद्ध प्रेमसागरा
Thursday 22 February 2018
समर्थशिष्य कल्याणस्वामी - भाग १ (Post in Marathi)
।। हरि: ॐ ।।
22-02-2018
समर्थशिष्य कल्याणस्वामी
भाग १
Saturday 17 February 2018
गीत किस्से कहानियाँ यादें ... शहद की बूँदें ... ३१- जय जय शिव शंकर
Monday 12 February 2018
Thursday 8 February 2018
Friday 2 February 2018
Thursday 1 February 2018
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