।। हरि: ॐ ।।
28-02-2021
अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य - स्मृतिपुष्प- ०५
बापु को मेरे प्रेम की प्यास.....
Sketch by my friend Prasannasinh Lad
‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
।। हरि: ॐ ।।
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।। हरि: ॐ ।।
।। हरि: ॐ ।।
मन के भाव को काल्पनिक कहानी के माध्यम से व्यक्त कर अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य महासत्संग की स्मृतियों को जगाने का यथासंभव अल्प प्रयास। मुझसे लिखने में यदि कोई त्रुटी हो तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।