।। हरि: ॐ ।।
‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Monday 22 November 2021
मम्मी और पापा की दुनिया तुम हो (Birthday song for grand daughter)
अन्तरिक्ष विज्ञान - ०५ - हबल टेलिस्कोप की उपलब्धियाँ -०३
Sunday 21 November 2021
अन्तरिक्ष विज्ञान - ०४ - हबल टेलिस्कोप की उपलब्धियाँ -०२
Saturday 6 November 2021
शुभास्ते पन्थान: - हिन्दी - ०२ - औरंगाबाद - ०२ - बीवी का मकबरा (Post in Hindi)
Friday 5 November 2021
समर्थशिष्य कल्याणस्वामी - ०२ - अंबाजी का ‘कल्याण’ नामकरण
।। हरि: ॐ ।।
समर्थशिष्य कल्याणस्वामी - ०२
अंबाजी का ‘कल्याण’ नामकरण
जब
मैं छोटा था, तब मेरे चाचाजी ने मुझे महान सन्त समर्थ श्री रामदास
स्वामीजी की कहानियों की एक पुस्तक दी थी। उस पुस्तक में समर्थशिष्य
कल्याणस्वामी की कहानियाँ भी थीं, जिन्होंने मुझे बहुत ही प्रभावित किया
था। उन कहानियों से आदर्श सद्गुरुभक्त का आचरण हमें ज्ञात होता है। महान
सन्त समर्थ श्री रामदासस्वामीजी के सत्-शिष्य श्री कल्याणस्वामी की
कहानियाँ अपने छोटे मित्रों को सुनाते हुए आज भी मुझे बहुत आनन्द मिलता है।
उन कहानियों को मैं यथामति अपनी भाषा में उन्हें सुनाता हूँ।
कल्याणस्वामी
की कहानियाँ सुनाने के पीछे मेरा यही उद्देश्य होता है कि मेरे छोटे
मित्रों के मन में कल्याणस्वामी के चरित्र को, उनकी सद्गुरुभक्ति को जानने
की जिज्ञासा जागृत हो। अत एव कहानियों में रुचि उत्पन्न हो, उनकी दिलचस्पी
बढ़े इसलिए कहानियों के मूल आशय को अबाधित रखते हुए मैं अपनी भावनाओं का
समावेश करके उन्हें कहानियां सुनाता हूँ। बच्चों में भक्तिभाव बढ़ाने के
उद्देश्य से मैंने यह स्वतन्त्रता ली है, जिसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।
इन्हें पढकर बच्चों में मूल चरित्र पढ़ने की उत्सुकता जागृत हो इसी
प्रामाणिक हेतु के साथ इन कहानियों को प्रस्तुत कर रहा हूँ। हिन्दी भाषा के
प्रति मेरे मन में सम्मान की भावना है, हिन्दी भाषा से मुझे लगाव है,
परन्तु हिन्दी मेरी मातृभाषा नहीं है, इस कारण लिखने में हुईं त्रुटियों के
लिए मैं क्षमा चाहता हूँ। समर्थ रामदासस्वामीजी और कल्याणस्वामी इस
सद्गुरु-सत्-शिष्य की जोडी को कोटी कोटी साष्टांग प्रणाम। अंबज्ञ।
नाथसंविध्।