‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Friday 29 September 2017
Tuesday 26 September 2017
Saturday 23 September 2017
Saturday 16 September 2017
संकटमोचन हनुमानाष्टक
।। हरि: ॐ ।।
16-09-2017
संकटमोचन हनुमानाष्टक
(मराठीत अर्थ आणि संदर्भासह)
अधिक विवेचनासाठी सद्गुरु श्री अनिरुद्धलिखित श्रीमद्पुरुषार्थ ग्रन्थराज द्वितीय खण्ड ‘प्रेमप्रवास’ पाहणे.
Saturday 9 September 2017
गीत किस्से कहानियाँ यादें ... शहद की बूँदें ... २८ - इस आवाज की मस्ती के दीवानें हजारों हैं (Post in Hindi)
Wednesday 6 September 2017
Monday 4 September 2017
Saturday 2 September 2017
Friday 1 September 2017
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