‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Monday 29 May 2017
Monday 22 May 2017
अन्नं हि पूर्णब्रह्म -०१ - केले के पत्ते पर खिल उठता है दक्षिणी भारत के व्यंजनों का बगीचा (Post in Hindi)
।। हरि: ॐ ।।
22-05-2017
अन्नं हि पूर्णब्रह्म -०१
केले के पत्ते पर खिल उठता है दक्षिणी भारत के व्यंजनों का बगीचा
सांबार भात और पापड
(सांबार-भात में पापड मिलाकर खाने का मजा कुछ और ही है। यहाँ के पापड खाने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि मानो ये पापड तो सांबार-भात के साथ खाने के लिए ही खास बनाये गये हैं।)
(सांबार-भात में पापड मिलाकर खाने का मजा कुछ और ही है। यहाँ के पापड खाने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि मानो ये पापड तो सांबार-भात के साथ खाने के लिए ही खास बनाये गये हैं।)
मूँग दाल पायसम्
Sunday 21 May 2017
Thursday 18 May 2017
Tuesday 16 May 2017
Monday 15 May 2017
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