।। हरि: ॐ।।
‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Thursday 27 May 2021
आयुर्वेदातील विविध न्याय - भाग ६ - छत्रिणो गच्छन्ति न्याय (Sanskrit- Marathi)
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Tuesday 18 May 2021
साईभक्तिव्याहृति-००१०- सद्गुरु श्री साईनाथजी का अमोघ शब्द (बोल) - एक अध्ययन भाग ६
।। हरि: ॐ ।।
18-05-2021
साईभक्तिव्याहृति - 00१०
सद्गुरु श्री साईनाथजी का अमोघ शब्द (बोल)
एक अध्ययन भाग ६
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