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Thursday, 7 January 2021

श्रीमंगलचण्डिकाप्रपत्ति (हिन्दी)

 ।। हरि: ॐ ।।

07-01-2021

श्रीमंगलचण्डिकाप्रपत्ति (हिन्दी) 












यथामति यथासंभव जानकारी देने का यह प्रयास है, मुझसे कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा चाहता हूँ, अधिक जानकारी के लिए लेख में दी गयी लिंक्स देख सकते हैं।  
 
 
 
 


 


* श्रीमंगलचण्डिकाप्रपत्ति कथा 

 














Thursday, 7 March 2019

त्रिविक्रम जल : एक अध्ययन (हिन्दी) Post in Hindi

।। हरि: ॐ ।। 

07-03-2019

त्रिविक्रम जल - एक अध्ययन (हिन्दी)

त्रिविक्रम जल की शीशी एक वर्ष बाद गुरुक्षेत्रम्‌ आकर इस विधि से पुन: भारित यानी सिद्ध करें।
विधि-
१) एक बार गुरुक्षेत्रम्‌ मंत्र कहें।
२) ‘ॐ त्रातारं इन्द्रं अवितारं इन्द्रं हवे हवे सुहवं शूरं इन्द्रंम्‌।
ह्वयामि शक्रं पुरुहूतं इन्द्रं स्वस्ति न: मघवा धातु इन्द्र: ॥’
यह मंत्र ११ बार कहें।
३) पुन: एक बार गुरुक्षेत्रम्‌ मंत्र कहें।  
किसी अपरिहार्य कारणवश एक वर्ष बाद गुरुक्षेत्रम्‌ आकर शीशी सिद्ध करना संभव नहीं हुआ यानी एक वर्ष से अधिक समय बीत जाये तो ‘ॐ त्रातारं इन्द्रं अवितारं इन्द्रं हवे हवे सुहवं शूरं इन्द्रम्‌। ह्वयामि शक्रं पुरुहूतं इन्द्रं स्वस्ति न: मघवा धातु इन्द्र: ॥’ यह मंत्र ११ बार की जगह २२ बार कहें, यह भी सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध ने अपने प्रवचन में कहा था।   





 

 

Thursday, 22 May 2014

त्रिविक्रम जल- Trivikram Jal (Post in Marathi)

।। हरि: ॐ ।।
22-05-2014

त्रिविक्रम जल 

त्रिविक्रम जलाची बाटली एक वर्षानंतर गुरुक्षेत्रम्‌मध्ये येऊन पुढील विधिने बाटली पुन्हा भारित म्हणजेच सिद्ध करून घ्यावी.
विधि-
१) एकदा गुरुक्षेत्रम्‌मंत्र म्हणावा.
२) ‘ॐ त्रातारं इन्द्रं अवितारं इन्द्रं हवे हवे सुहवं शूरं इन्द्रंम्‌।
ह्वयामि शक्रं पुरुहूतं इन्द्रं स्वस्ति न: मघवा धातु इन्द्र: ॥’
हा मंत्र अकरा वेळा म्हणावा.
३) पुन्हा एकदा गुरुक्षेत्रम्‌मंत्र म्हणावा. 
काही अपरिहार्य कारणामुळे एक वर्षानंतर गुरुक्षेत्रम्‌ला येऊन बाटली सिद्ध करणे शक्य न झाल्यास म्हणजेच एक वर्षापेक्षा अधिक काळ झाल्यास ‘ॐ त्रातारं इन्द्रं अवितारं इन्द्रं हवे हवे सुहवं शूरं इन्द्रम्‌। ह्वयामि शक्रं पुरुहूतं इन्द्रं स्वस्ति न: मघवा धातु इन्द्र: ॥’ हा मंत्र ११ ऐवजी २२ वेळा म्हणावा, असाही पर्याय सद्गुरु श्रीअनिरुद्धांनी दिला आहे.