।। हरि: ॐ ।।
06-06-2019
बॉक्स ऑफिस -०२
द टर्मिनल (२००४)
लेख क्र. १
द टर्मिनल (२००४) यह हॉलिवुड की फिल्म देखने के बाद ऐसा विचार मन में आता है कि
यह दुनिया एक टर्मिनल ही तो है, सबको सफर तो करना ही पड़ता है,
कौन है जो टर्मिनल पर सदा के लिए रहता है,
फिर इस सफर में क्यों न व्हिक्टर की तरह मीठीं यादे छोड़कर आगे बढ़ा जाये,
हर मुश्किल को अवसर समझकर आगे बढ़ा जाये,
सब से बढ़कर रहने वाली दिल की भाषा समझकर सबके साथ प्रेम का रिश्ता मज़बूत कर लिया जाये
और
जो हमसे प्यार करते हैं उनके सपनों को सच करने का निश्चय कर लिया जाये!
आदमी मुसाफिर है, आता है जाता है, आते जाते रस्ते पर यादें छोड़ जाता है|
यह फिल्म हमारे दिल के टर्मिनल में सदा के लिए बस जाती है और
आदमी मुसाफिर है, आता है जाता है, आते जाते रस्ते पर यादें छोड़ जाता है|
यह फिल्म हमारे दिल के टर्मिनल में सदा के लिए बस जाती है और
मीठीं यादें छोड़कर इस दुनिया रूपी टर्मिनल को छोड़ने की राह दिखाती है,
प्रेम की गरिमा, प्रेम की अतुलनीय ताकत महसूस कराती है|




