‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Friday, 24 August 2018
Thursday, 9 August 2018
श्रीबालात्रिपुराम्बा का लघुस्तव स्तोत्र और श्रीदत्तमालामन्त्र - एक अध्ययन (Sanskrit & Hindi)
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Tuesday, 7 August 2018
Saturday, 4 August 2018
Ayurveda-Swardhuni-022- व्याधि-नामकरण-सिद्धान्त (Sanskrit- Hindi)
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Friday, 3 August 2018
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