।। हरि: ॐ।।
‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Friday, 27 August 2021
आयुर्वेदातील विविध न्याय - भाग ८ - काकदन्तपरीक्षा न्याय (Sanskrit- Marathi)
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Thursday, 26 August 2021
अन्तरिक्ष विज्ञान - ०२ - हबल स्पेस टेलिस्कोप का महत्त्व
Sunday, 15 August 2021
स्वतन्त्रता सेनानियों को शत शत नमन
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