॥ हरि: ॐ ॥
02-12-2025
माँ नहीं रही, अनाथ हो गया.....
मेरे एक मित्र की माँ का देहान्त हो गया। उसका दुख देखकर मेरा हृदय भी व्यथित हो गया और वह व्यथा इन शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त हुई। मेरी माँ तो जीवित है, आदिमाता जगदंबा मेरी माँ को निरामय दीर्घायु प्रदान करें, यह आदिमाता के चरणों प्रार्थना। मित्र को हो रहे माँ के विरह के कारण मेरा मन तड़प उठा और आँसुओं के साथ ये शब्द अपने आप आ गये। हिन्दी मेरी मातृभाषा नहीं है, परन्तु प्रिय भाषा है; मुझसे लिखने में कोई गलती हुई हो तो क्षमा चाहता हूँ। अंबज्ञ। नाथसंविध् ।




