‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Tuesday, 28 May 2019
साईभक्तिव्याहृति-0008- सद्गुरु श्री साईनाथजी का अमोघ शब्द (बोल) - एक अध्ययन भाग 4 (Post in Hindi)
प्रकटा साईनाथ घरी.........
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Tuesday, 21 May 2019
हनुमानजी ही सबसे सुन्दर (भक्तिस्वर्धुनी- ०४)
।। हरि: ॐ ।।
21-05-2019
हनुमानजी ही सबसे सुन्दर
श्रद्धावान मित्रगणों को सादर अभिवादन! हिन्दी मेरी मातृभाषा तो नहीं है, परन्तु अत्यन्त प्रिय भाषा है। सन्तश्रेष्ठ श्री तुलसीदासजी मेरे अत्यन्त प्रिय सन्त हैं और उनके द्वारा विरचित श्रीरामचरितमानस का सुन्दरकाण्ड, हनुमानचलिसा इनका पाठ करते करते और सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी द्वारा दैनिक प्रत्यक्ष में प्रकाशित हो रही सुन्दरकाण्ड पर आधारित तुलसीपत्र इस अग्रलेखमाला को पढते पढते रामदूत हनुमानजी के प्रति जो प्रेम हृदय में प्रवाहित हुआ, उसे इस रचना में अपने बालसुलभ शब्दों के द्वारा प्रकट किया है, अत एव मुझसे लेखन में कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ।
Saturday, 18 May 2019
Sunday, 12 May 2019
आसमाँ की तरह माँ भी योगी! हमेशा साथ होती है (Post in Hindi)
Thursday, 2 May 2019
स्वामी ! चरणांशी मज द्यावी जागा (भक्तिस्वर्धुनी- ०३)
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