‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Wednesday, 30 May 2018
Tuesday, 29 May 2018
स्वयंभगवान त्रिविक्रम (Post in Hindi)
।। हरि: ॐ ।।
29-05-2018
स्वयंभगवान त्रिविक्रम
Trivikram Gajar-
https://www.youtube.com/watch?v=Ij2HWbCf8og
Monday, 14 May 2018
Friday, 11 May 2018
Wednesday, 9 May 2018
मत्स्य आणि कूर्म (Algorithm)
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Monday, 7 May 2018
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