‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Wednesday, 31 October 2018
Saturday, 27 October 2018
Wednesday, 17 October 2018
साईभक्तिव्याहृति-0005- सद्गुरु श्री साईनाथजी का अमोघ शब्द एक अध्ययन भाग १ (Post in Hindi)
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Monday, 15 October 2018
Saturday, 6 October 2018
Friday, 5 October 2018
Ayurveda-Swardhuni-024- अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम् । होतारं रत्नधातमम् ॥ वेदों में आयुर्वेद - अग्नितत्त्व - एक अध्ययन(Sanskrit- Hindi)
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Monday, 1 October 2018
माँ ही लेकर आयी थी, माँ ही ले जाने आएगी (Post in Hindi)
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