Wednesday, 30 April 2014

नवरात्रि अष्टमी हवन के बारे में जानकारी (Post in Hindi)

।। हरि: ॐ ।।
 
30-04-2014

नवरात्रि अष्टमी हवन के बारे में जानकारी

(यह जानकारी मैं अपनी डायरी में नोट किये अनुसार दे रहा हूं, इसमें त्रुटियां भी हो सकती हैं। क्षमस्व।)

नवरात्रि की अष्टमी के शुभ पर्व पर सूर्यास्त के बाद श्रद्धावान अपने घर में यह हवन कर सकते हैं |

सामग्री:

 अक्षता, हवन करने के लिए एक थाली या बडा धूपपात्र, कपूर.

पूजा की थाली में कपूर को इस तरह रखें |


पूजा की थाली को इस तरह सजाया जा सकता है |

पूजाविधि:

अक्षता से स्वस्तिक बनाइए और उसपर पूजा की थाली रख दीजिए । 

पूजा की थाली में अक्षता रखकर बीचों बीच १ कपूर रख दीजिए‍ | 

फ़िर ८ दिशाओं में ८ कपूर रख दीजिए‍ | 

 

बीच में रखे हुए कपूर को अब प्रज्वलित कीजिए |


सबसे पहले हाथ जोडकर प्रार्थना करें। 


सर्वमांगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।

शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।

 

अब इनमें से किसी भी एक मन्त्र का जाप १०८ बार कीजिए |

  • ॐ नमश्चण्डिकायै  ।

  • ॐ ऐम् ह्रीम् क्लीम् चामुण्डायै विच्चे ।

  • ॐ कुलदेवता श्री-------  नम: ।    (----- की जगह अपनी कुलदेवता के नाम का चतुर्थी विभक्ति में उच्चारण करें, जैसे कि दुर्गा हो तो `ॐ कुलदेवता श्रीदुर्गायै नम: |', महादेवी हो तो `ॐ कुलदेवता श्रीमहादेव्यै नम: |' इस तरह)

जाप करते समय अग्नि को प्रज्वलित रखें और इसके लिए बीच बीच में एक एक कपूर पूजा की थाली के बीचोंबीच प्रज्वलित किये गये कपूर में अर्पण करते रहें | 

(हर एक जप के साथ एक एक कपूर अर्पण करना आवश्यक नहीं है, केवल अग्नि को जाप संपूर्ण हो जाने तक प्रज्वलित रखना यही कपूर अर्पण करने के पीछे का उद्देश्य है।)  

आठ दिशाओं में रखे गये कपूरों को भी एक एक करके अर्पण करना न भूलें।

जाप पूरा हो जाने के बाद श्रीआदिमाता शुभंकरा स्तवन और श्रीआदिमाता अशुभनाशिनी स्तवन का पाठ करें | 

हवन पूरा हो जाने के बाद साष्टांग दंडवत करें | 

अब थाली की सामग्री को एक सफ़ेद वस्त्र में बांधकर रखें और दशहरे के दिन विसर्जित करें |

अंबज्ञोऽस्मि ।