।। हरि: ॐ ।।
कार्तिकी एकदशी शके १९४२
गुरुवार दिनांक २६-११-२०२०
‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
।। हरि: ॐ।।
।। हरि: ॐ।।
।। हरि: ॐ ।।
ॐ धं धन्वन्तरये नम:।
धन्वन्तरि त्रयोदशी
13-11-2020
।। हरि: ॐ।।
https://www.musicplus.in/interview-of-the-week-pyarelal-sharma/
http://www.pictureplusonline.com/2018/03/blog-post_18.html
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/viplavvimarsh/making-of-superhit-song-wo-jab-yaad-aay/
।। हरि: ॐ।।
।। हरि: ॐ।।