।। हरि: ॐ।।
09- 10- 2020
गीत किस्से कहानियाँ यादें ... शहद की बूँदें ... ३७
ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ.....
मेरी कॉलेज की सहपाठी दोस्त चारु ने हमारे बॅचमेट्स् के ग्रुप में अपनी आवाज़ में ‘ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ’ यह गीत पोस्ट किया। उसने अपनी मधुर आवाज़ में यह गीत (फिल्म में लतादीदी द्वारा गाया गया) बहुत ही सुन्दर रूप में गाया था।
पुराने समय के ये गीत हमें एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। इस गीत को इतने सालों से सुनते हुए मेरे मन में जो भाव आते थे, उन्हें अपने दोस्तों के साथ शेअर करने का मन हुआ और उसमें से कुछ लिखा गया, जिसे प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मैं गीत-संगीत का जानकार नहीं हूँ, पर दोस्तों के साथ अपने दिल की बात साझा करना अच्छा लगता है। लिखने में मुझसे कोई गलती हुई हो तो क्षमा चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि मेरे दोस्त इसे पसंद करेंगे।