‘अंबज्ञोऽस्मि’ ‘नाथसंविध्’ ‘अंबज्ञोऽस्मि’ का अर्थ है-मैं अंबज्ञ हूँ। अंबज्ञता का अर्थ है-आदिमाता के प्रति श्रद्धावान के मन में होनेवाली और कभी भी न ढल सकनेवाली असीम सप्रेम कृतज्ञता। (संदर्भ–मातृवात्सल्य उपनिषद्) नाथसंविध् अर्थात् निरंजननाथ, सगुणनाथ और सकलनाथ इन तीन नाथों की इच्छा, प्रेम, करुणा, क्षमा और सामर्थ्य सहायता इन पंचविशेषों के द्वारा बनायी गयी संपूर्ण जीवन की रूपरेखा। (संदर्भ–तुलसीपत्र १४२९)
Saturday, 29 April 2017
Tuesday, 25 April 2017
Monday, 24 April 2017
श्री स्वामी समर्थ बखर अनुभव- ०३ (Post in Hindi)
।। हरि: ॐ ।।
24-04-2017
श्री स्वामी समर्थ बखर अनुभव- ०३
आज अक्कलकोटनिवासी श्री स्वामी समर्थ महाराज का समाधि दिवस है। इसवी सन १८७८ चैत्र वैद्य त्रयोदशी सह वद्य चतुर्दशी को समाधिलीला का निमित्त करके श्री स्वामी समर्थ ने अपना अवतारकार्य पूरा कर दिया। भले ही देह रूप में स्वामी समर्थ महाराज हमें दिखायी न दे रहे हों मगर वे अपने हर एक बालक के साथ, अपने हर एक भक्त के साथ सदा ही हैं, इसमें कोई दोराय नहीं है।
श्री स्वामी समर्थ महाराज, आप प्रेममय हैं और हम अंबज्ञ हैं।
श्री स्वामी समर्थ महाराज, आप प्रेममय हैं और हम अंबज्ञ हैं।
Saturday, 22 April 2017
Thursday, 20 April 2017
Wednesday, 19 April 2017
Tuesday, 18 April 2017
Saturday, 15 April 2017
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